अकेलापन लाइफ मे हर किसी को फील होता है या हुआ भी होगा , यही अकेलापन हमें ऐसा बना देता है की न हम किसी से बात करे न ही हम कुछ शेयर करे। अकेलापन मे ऐसा लगता कि कोय नहीं है जो हमारी बात को समझ पायेगा।
दोस्तों हम बस यही कहना चाहते, कि न आप अपने परिवार , अपने दोस्तों को यह फील करिये की वो अकेले है उनकी बातो को सुनो अपनी बात भी शेयर करो जिससे दोनों ही लोगो को यह न लगे की हम अकेले है।
इस दुनिया में अकेले चलना सीख लो
आज जो तुम्हारे साथ है क्या पता कल तुम्हारे साथ ना हो
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
लहू बन चूका का आखो का पानी,
अब खत्म होने वाली है हमारी कहानी ।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है,
आखरी सास तक तेरा इंतजार करू
ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों,
जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।
रोते हैं वो लोग जो मोहब्बत को दिल से निभाते हैं,
धोखा देने वाले तो दिल तोड़ कर अक्सर चैन से सो जाते हैं।
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।
तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।
रात भर जागता हूँ एक ऐसे बेदर्दी शख़्स की यादों में,
जिसे दिन के उजालों में भी मेरी याद नहीं आती
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।
मुझको मेरे अकेलेपन से अब शिकायत नहीं है।
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मुहब्बत नहीं है
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा,
मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।
शायद बहुत दूर तक निकल गए हैं हम,
इसलिए अब तेरे ख्यालों में भी नहीं आते हैं हम
आज इतना अकेला महसूस किया खुद को
जैसे लोग दफना कर चले गए हो।
माना की में बुरा हु सो बुरा होता गया मेरे साथ,
पर तुमतो अच्छी थी ना तुमतो कुछ अच्छा कर जाती मेरे साथ
मालूम है मुझे की ये मुमकिन नहीं मगर
एक आस सी रहती है कि तुम याद करोगे मुझें
तेरे बगैर इस मौसम में वो मजा कहाँ,
काँटों की तरह चुभती है बारिश की बूँदें।
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे,
तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की।
अकेले रहना बहुत अच्छा है
बजाय उन लोगों के साथ मे रहना
जो आपकी कद्र नहीं करते
उसे पाना उसे खोना… उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो… हम तन्हा ही अच्छे हैं।
तेरे वजूद की खुशबु बसी है साँसों में,
ये और बात है नजरों से दूर रहते हो।
बहुत ज्यादा जुल्म करती हैं तुम्हारी यादे,
सो जाऊ तो जगा देती हैं, उठ जाऊ तो रुला देती हैं
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
यूँ भी हुआ रात को जब सब सो गए,
तन्हाई और मैं तेरी बातों में खो गए।
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम न होते न सही… ज़िक्र तुम्हारा होता।
हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम,
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।
मेरे कुछ अपनों ने ही सिखाया
कोई अपना नहीं होता
रोते हैं तन्हा देख कर मुझको वो रास्ते,
जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।
इस दुनिया में अकेले चलना सीख लो
आज जो तुम्हारे साथ है क्या पता कल तुम्हारे साथ ना हो